हवा के झोंके ने फिर से पन्नों को सहलाया,
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
काश कि उनकी नजरों से ऐसी कोई सिफारिश हो जाए।
जो सूख जाये दरिया तो फिर प्यास भी न रहे,
मैं धीरे-धीरे उनका दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ,
मंजिल की तलाश में खुद quotesorshayari को अकेले चलना होगा,
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
खुदा माना, आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
तुमको याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ,
चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा सारे जहाँ से प्यारा है।
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी,
जर्रे-जर्रे में वो है और कतरे-कतरे में तुम।
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।