ज़ुल्फ़ें भी सुना है कि संवारा नहीं करते,
खरीद लाये थे कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
मंजिल की तलाश में खुद को अकेले चलना होगा,
उजालों shayari in hindi में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
बिछड़ के तुझसे हर रास्ता सुनसान रहता है,
सुना है कि महफ़िल में वो बेनकाब आते हैं।
मैं घर का रास्ता भूला, जो निकला आपके शहर से,
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।